Tuesday 31 January 2012

आनुजा के जीवन में तीसरा मेहमान आने वाला था जितना आनु खुँस थी उतना ही उसका पति  भी वक्त गुजरा बेटा हुआ आनुजा को हर तरफ खुशिया ही खुशिया पति को पता चला वो शहर में था बहुत ख़ुशी बहुत ख़ुशी चेहरे से मनो स्वर्ग से भी सुन्दर सपना पूरा हुआ पर जब वो वापस आनुजा और बेटे के पास जा रहा  था रोड एक्सिडेंट में बस पलट गयी और ४२ यात्रियों में सिर्फ आनुजा का पति ही न रहा beta आभी सिर्फ ४ दिन का हुआ था  पति के जाते ही सास बदल गयी जेठ बदल गए जेठानी बदल गयी  देवर बदल गया बस सासुर जी ने पिटा का प्यार दिया जिनकी जादा चलती ना थी घर में पर आनुजा की हालत और उस पर होने वाले आत्याचार रोज़ देख कर आकेले में रो दिया करते आकेले में आपनी पत्नी द्वारा किये गए दुएव्यव्हारो के लिए माफी मांगते रहआते  आनुजा भी उन्हें बहुत मान देती बिलकुल आपने पिटा जी की तरह ही वो देवर जो कभी  इतना सम्मान दिया करता था वो आब आनुजा को उसकी सुन्दरता को निहारा करता था उसकी नजरो से आनु को आब दर लगने लगा था सास से कुछ कहती तो वो उससे ही गंदे शब्दों से छप करा देती आपने ही घर में जब सुरख्श्हा  न मिले तो क्या करे सासुर जी ने आनुजा को उसके मायके भेज दिया जान बूझ के मायका तब तक जब तक  माँ  बाबू जी उसके बाद वो होता है भाई भाभी का घार चाचा चची के ताने बस उधर जेठानी जी को घर का कम करने की आदत भी छुट चुकी थी घर में २ टाइम का खाना बन जाये तपो गनीमत मुफ्त की नौकरानी जो चाली गयी थी  जेठ जी बार बार लेनी आने लगे  प्यार की वजह से नही घर के कम ओ की वजह से  आनुजा का बेटा बड़ा हो रहा है सब देख रहा है बस इतना ही की बच्चे से प्यार बहुत है सास को  देवर की शादी हो गयी देव रानी आ गयी पर आनुजा वाही की वाही भाइयो ने उनकी दूसरी शादी करा नि चाहि पर वो ना मानी  आब उसका जीवन उसके बेटे के लिए है बस देवर जी शाराब के नाशे में आनुजा के कमरे में घुस के आनुजा से बदतमीजी  करनी चाहि सासुर जी ने दो थाप्पद मर के देवर को आनुजा को घर यानी मायके भेज दिया १ साल बीता आनुजा के पति का एक्सिडेंट का case jeet gaayee और १००००० ru. का चेक  मिला आनुजा की सास काप्यार आचानक उसके लिए बढ़ गया जेठ जी जेठानी जी मायके से manaa कर घर le aaye सासुर जी samajh rahee the unhone वो sare paise bank से nikalwaa के आनुजा के बच्चे के nam पर fix कर दिया और आनुजा को kheto में उसके पति का hissa aalag कर de दिया और घर का hissa दो कमरे का jagah de de दिया और आपनी पेन्तितिओन से उसका ख्हर्च देने लगी आब सब ठीक है आब आनुजा सास ससुर के साथ रहती है  बेटा अब १० साल का है आनुजा लेकिन बहूत आकेली है बहुत jadaa आपने पति की यादो के सहारे आपने बेटे के लिए सिर्फ ज़िंदा है ye सच्चाई है जीवन की आगे ना जाने क्या हो इश्वर करे सब ठीक हो

Monday 30 January 2012

dhoop aur chhav

jivan में कई बार ऐसा भी होता है  कुछ हम खोते है और कुछ हम पाते है ये कहानी एक ऐसे लड़की की है  जो बहुत खुशहाल जीवन जीती है आपने जड़ो की पनाह में फिर दुखो किआन्धी आती है और  दुखो की बारिश कभी तेज कभी मद्धम कभी झिलमिल  चलती रहती है वक्त का पहिया बस यु ही चलता रहता है ये सत्य घटना है दोस्तों  एक gaav है uche pahado से घिरा  तोंसे  nadi के kinare तीन बहने paanch भाई माँ और पिता  से भरा हुआ परिवार  सुन्दर माँ सुन्दर पिता की सुन्दर संताने  पूरे घर में चाचियो के साथ  सयुक्त परिवार  आचानक माँ को कैंसर हुआ और धीरे धीरे माँ मौत के आगोश में चली गयी घर की आर्थिक स्तिथि ख़राब होती चली गयी बड़ा बेटा गलत सांगत में पद गया लेकिन फिर भी दिल से उदार  chhota बेटा किसी तरह छोटी सी दुकान चलता लेकिन जिम्मेदारी बड़ा ही निभाता रहा बड़ी बेटी की शादी उसकी बुआ ने करवादी और jis ladki के bare में हम bat का rahe थे वो है ये आनुजा  आद्भुत सुन्दरता आनोखा रूप जैसे देवी की प्रतिमा माँ की मौत के बाद बड़ी बुआ उसी आपने घर ले गयी ताकि उसकी जिम्मेदारी वो उठा ले पर बड़ी बुआ की छोटी बहु जो खुद बिन माँ की बेटी थी और un पर dayaa कर बड़ी बुआ ने आपने छोटे बेटे से उसका ब्याह  कर लायी थी उसे बहुत दुःख देने लगी जितना बुरा वो कर सकती थी बुआ जब जब shahar को jati भाभी बहुत परेशां करती जबर दस्ती इतनी बड़ी हवेली में दो दो बार झाड़ू पोछा लगवाती तब उनकी उम्र कुछ १२ साल रही होगी पानी कुआ से भर्वति कापसे धोना बर्तन धोना वो १२ साल की लड़की आनुजा कुछ न कहती आसू भरे आखो से आपनी किस्मत समझ कर करती रहती बुआ के घर पर रहने पर आनुजा को बड़ा आराम रहता कुछ ही कम कने पड़ते छोटे मोटी बस पर बुआ के न रहने पर तो भाभी का गुस्सा दिन भर निकलता usspar  3 mahine बाद जब पिता ji बुआ के घर aaye वो रो पड़ी बस itna कहा की pitaji aapki बड़ी yad aa रही है  bhaiyo की भी घर की yad aa रही है और कुछ न कहा पिता ji घर ले aaye आनुजा को फिर बड़ी बहन से lipat कर khoob royee पर कहा कुछ न कहा  बहन समझ गयी फिर dheer से samjhaya और poochha की बुआ ने कुछ कहा वो बोली न भाभी ने कुछ कहा तो  आनुजा फूट फूट के रो पड़ी  दीदी समझ गयी फिर बार बार कहने पर भी बुआ के दीदी ने आनुजा को  न भेजा  वापस  और जैसे तैसे रहने लगे सब घर में ही साथ साथ वक्त गुजरा गरीबी के karan जहा भोजन को भी न जुटता पढना किस्मत में कहा हो पता पर बड़ी बुआ ने उसकी पढाई का खर्च उठाया तब आनुजा १२ क्लास में १स्त aayi पर बस इसके आगे कौन  पाधता वक्त गुजरता गया आनुजा की शादी तय हो गयी शादी से ठीक १० दिन पहले पिता की मौत हो गयी कैंसर tha unhe pet में  dhan के aabhav में किसी से न batate थे pet के dard से चुपचाप तड़पते रहते थे  किसी से न कहते भाई बहन ओ का आखिरी सहारा भी न रहा फिर भी आनुजा की शादी न rokne के liye जाते जाते आखिरी इच्छा के तौर पर कह गए बड़ी बुआ और उनकी बेटियों की बहुत बड़ी madad  से शादी sampurn हो गयी  tapte registan में जैसे jeene का सहारा मिला ही आनुजा को vaisee ही aanubhuti huyi सुन्दर parivar  सुन्दर pati सुन्दर जीवन  mano आब तक इश्वर ने जो भी छेना  उसके badale ढेर सारा प्यार व सम्मान मिला आनु जा को शादी के तीन साल बड़े सुन्दरता खुशहाली से बीत गयी पर फिर जो हुआ vaisaa हे इश्वर किसी के साथ न हो  आगे  फिर बताउगी .......................................                           ............