Monday 30 January 2012

dhoop aur chhav

jivan में कई बार ऐसा भी होता है  कुछ हम खोते है और कुछ हम पाते है ये कहानी एक ऐसे लड़की की है  जो बहुत खुशहाल जीवन जीती है आपने जड़ो की पनाह में फिर दुखो किआन्धी आती है और  दुखो की बारिश कभी तेज कभी मद्धम कभी झिलमिल  चलती रहती है वक्त का पहिया बस यु ही चलता रहता है ये सत्य घटना है दोस्तों  एक gaav है uche pahado से घिरा  तोंसे  nadi के kinare तीन बहने paanch भाई माँ और पिता  से भरा हुआ परिवार  सुन्दर माँ सुन्दर पिता की सुन्दर संताने  पूरे घर में चाचियो के साथ  सयुक्त परिवार  आचानक माँ को कैंसर हुआ और धीरे धीरे माँ मौत के आगोश में चली गयी घर की आर्थिक स्तिथि ख़राब होती चली गयी बड़ा बेटा गलत सांगत में पद गया लेकिन फिर भी दिल से उदार  chhota बेटा किसी तरह छोटी सी दुकान चलता लेकिन जिम्मेदारी बड़ा ही निभाता रहा बड़ी बेटी की शादी उसकी बुआ ने करवादी और jis ladki के bare में हम bat का rahe थे वो है ये आनुजा  आद्भुत सुन्दरता आनोखा रूप जैसे देवी की प्रतिमा माँ की मौत के बाद बड़ी बुआ उसी आपने घर ले गयी ताकि उसकी जिम्मेदारी वो उठा ले पर बड़ी बुआ की छोटी बहु जो खुद बिन माँ की बेटी थी और un पर dayaa कर बड़ी बुआ ने आपने छोटे बेटे से उसका ब्याह  कर लायी थी उसे बहुत दुःख देने लगी जितना बुरा वो कर सकती थी बुआ जब जब shahar को jati भाभी बहुत परेशां करती जबर दस्ती इतनी बड़ी हवेली में दो दो बार झाड़ू पोछा लगवाती तब उनकी उम्र कुछ १२ साल रही होगी पानी कुआ से भर्वति कापसे धोना बर्तन धोना वो १२ साल की लड़की आनुजा कुछ न कहती आसू भरे आखो से आपनी किस्मत समझ कर करती रहती बुआ के घर पर रहने पर आनुजा को बड़ा आराम रहता कुछ ही कम कने पड़ते छोटे मोटी बस पर बुआ के न रहने पर तो भाभी का गुस्सा दिन भर निकलता usspar  3 mahine बाद जब पिता ji बुआ के घर aaye वो रो पड़ी बस itna कहा की pitaji aapki बड़ी yad aa रही है  bhaiyo की भी घर की yad aa रही है और कुछ न कहा पिता ji घर ले aaye आनुजा को फिर बड़ी बहन से lipat कर khoob royee पर कहा कुछ न कहा  बहन समझ गयी फिर dheer से samjhaya और poochha की बुआ ने कुछ कहा वो बोली न भाभी ने कुछ कहा तो  आनुजा फूट फूट के रो पड़ी  दीदी समझ गयी फिर बार बार कहने पर भी बुआ के दीदी ने आनुजा को  न भेजा  वापस  और जैसे तैसे रहने लगे सब घर में ही साथ साथ वक्त गुजरा गरीबी के karan जहा भोजन को भी न जुटता पढना किस्मत में कहा हो पता पर बड़ी बुआ ने उसकी पढाई का खर्च उठाया तब आनुजा १२ क्लास में १स्त aayi पर बस इसके आगे कौन  पाधता वक्त गुजरता गया आनुजा की शादी तय हो गयी शादी से ठीक १० दिन पहले पिता की मौत हो गयी कैंसर tha unhe pet में  dhan के aabhav में किसी से न batate थे pet के dard से चुपचाप तड़पते रहते थे  किसी से न कहते भाई बहन ओ का आखिरी सहारा भी न रहा फिर भी आनुजा की शादी न rokne के liye जाते जाते आखिरी इच्छा के तौर पर कह गए बड़ी बुआ और उनकी बेटियों की बहुत बड़ी madad  से शादी sampurn हो गयी  tapte registan में जैसे jeene का सहारा मिला ही आनुजा को vaisee ही aanubhuti huyi सुन्दर parivar  सुन्दर pati सुन्दर जीवन  mano आब तक इश्वर ने जो भी छेना  उसके badale ढेर सारा प्यार व सम्मान मिला आनु जा को शादी के तीन साल बड़े सुन्दरता खुशहाली से बीत गयी पर फिर जो हुआ vaisaa हे इश्वर किसी के साथ न हो  आगे  फिर बताउगी .......................................                           ............

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