Tuesday 4 December 2012

मेरी तस्वीर में रंग और किसी का तो नहीं
घेर लें मुझको सब आके मैं तमाशा तो नहीं

ज़िन्दगी तुझसे हर इक साँस पे समझौता करूँ
शौक़ जीने का है मुझको मगर इतना तो नहीं

रूह को दर्द मिला दर्द को आँखें न मिली
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं

Monday 3 December 2012

वक़्त की तरह दबे पाँव ये कौन आया है
मैंने अँधेरा जिसे समझा वो क़बा किसकी थी

आँसुओं से ही सही भर गया दामन मेरा
हाथ तो मैं ने उठाये थे दुआ किसकी थी

मेरी आहों की ज़बां कोई समझता कैसे
ज़िन्दगी इतनी दुखी मेरे सिवा किसकी थी...
हर बार  रूठने  पर मानते थे आप 
बहुत  प्यार बहुत दुलार देते थे आप 
हर कठिनाइयों में साथ होते थे आप 
हर वक्त मै  हु न कहते थे आप 
पापा आज भी आप हमें चाहिए 
आ जाओ न वापस पापा एक बार 
ही सही फिर साथ हम हँसेगे 
मै  रुठुगी आप मनाओगे फिर 
हर बात समझाओगे फिर मेरी गलतिया बताओगे 
बाली  को मेरी  शुक्कू  मेरी बिटिया  बुलाओगे 
भैया  को  ऑफिस जाते हुए रुमाल और पेन पकड़ोगे 
मम्मी की हिचकियो  में पानी का गिलास  ले आओगे 
फिर मै  आपके लिए चाय बनाउगी  और आप 
मेरी पगली बिटिया कहकर  हमें चिढ़ाओगे 
फिर मै  रुठुगी  और आप हमें मनाओगे ......................श्वेता .............................