Monday 3 December 2012

हर बार  रूठने  पर मानते थे आप 
बहुत  प्यार बहुत दुलार देते थे आप 
हर कठिनाइयों में साथ होते थे आप 
हर वक्त मै  हु न कहते थे आप 
पापा आज भी आप हमें चाहिए 
आ जाओ न वापस पापा एक बार 
ही सही फिर साथ हम हँसेगे 
मै  रुठुगी आप मनाओगे फिर 
हर बात समझाओगे फिर मेरी गलतिया बताओगे 
बाली  को मेरी  शुक्कू  मेरी बिटिया  बुलाओगे 
भैया  को  ऑफिस जाते हुए रुमाल और पेन पकड़ोगे 
मम्मी की हिचकियो  में पानी का गिलास  ले आओगे 
फिर मै  आपके लिए चाय बनाउगी  और आप 
मेरी पगली बिटिया कहकर  हमें चिढ़ाओगे 
फिर मै  रुठुगी  और आप हमें मनाओगे ......................श्वेता .............................

4 comments:

  1. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    ReplyDelete
  2. पापा होते ही ऐसे हैं बिटिया

    ReplyDelete