हर बार रूठने पर मानते थे आप
बहुत प्यार बहुत दुलार देते थे आप
हर कठिनाइयों में साथ होते थे आप
हर वक्त मै हु न कहते थे आप
पापा आज भी आप हमें चाहिए
आ जाओ न वापस पापा एक बार
ही सही फिर साथ हम हँसेगे
मै रुठुगी आप मनाओगे फिर
हर बात समझाओगे फिर मेरी गलतिया बताओगे
बाली को मेरी शुक्कू मेरी बिटिया बुलाओगे
भैया को ऑफिस जाते हुए रुमाल और पेन पकड़ोगे
मम्मी की हिचकियो में पानी का गिलास ले आओगे
फिर मै आपके लिए चाय बनाउगी और आप
मेरी पगली बिटिया कहकर हमें चिढ़ाओगे
फिर मै रुठुगी और आप हमें मनाओगे ......................श्वेता .............................
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
thanx
ReplyDeleteपापा होते ही ऐसे हैं बिटिया
ReplyDeletethanx ur right
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