परिन्दों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की..
वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की..
रखते हैं जो होसला आसमां को छूने का..
उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की........!!
वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की..
रखते हैं जो होसला आसमां को छूने का..
उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की........!!
परिन्दों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की..
ReplyDeleteवो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की..
रखते हैं जो होसला आसमां को छूने का..
उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की.
बहुत ही सुंदर शब्दों में लिखी बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको
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